अमेरिकी टैरिफ़-“88 के पार पहुंचा रुपया, डॉलर बोले – और गिराओ!”

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन, ट्रेड एनालिस्ट

शुक्रवार को भारतीय रुपये ने इतिहास में पहली बार 88 रुपये प्रति डॉलर का स्तर पार कर लिया। 88.1950 प्रति डॉलर का आंकड़ा एक दिन में 0.65% की गिरावट दर्शाता है — और ये तीन महीने की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है।

इस गिरावट का सीधा संबंध अमेरिका द्वारा इस हफ्ते लगाए गए अतिरिक्त 25% टैरिफ़ से जोड़ा जा रहा है।

अमेरिका का 50% टैरिफ़: भारत को बड़ा झटका

अमेरिका ने भारतीय सामानों पर कुल टैरिफ़ दर को बढ़ाकर 50% कर दिया है। यह कदम रक्षा, फार्मा, टेक्सटाइल, स्टील जैसे सेक्टर्स पर असर डाल सकता है।

“भारत के लिए ये टैरिफ़ सिर्फ़ व्यापार का झटका नहीं, बल्कि निवेशकों के मनोबल का भी टेस्ट है।”

पोर्टफोलियो निवेश को लेकर डर

पोर्टफोलियो निवेशक डॉलर में अस्थिरता और टैरिफ के असर से चिंतित हैं।
विदेशी निवेशकों के लिए:

  • भारत का एक्सपोर्ट अब महंगा हो सकता है

  • RBI की इंटरवेंशन लिमिटेड दिख रही है

  • शेयर बाजार में भी अस्थिरता का माहौल

“अगर टैरिफ़ आगे भी जारी रहे, तो FII का पैसा तेजी से बाहर जा सकता है।”

अगस्त में 0.68% की गिरावट, लेकिन अब डर गहराया

अगस्त 2025 में रुपया पहले ही 0.68% गिर चुका है। अब सितंबर की शुरुआत में ही ये रिकॉर्ड लो छूना बताता है कि रुपया दबाव में है और ट्रेड वॉर का असर गहराता जा रहा है।

RBI क्या करेगा?

अब सवाल है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) क्या कदम उठाएगा?

  • डॉलर की बिक्री कर इंटरवेंशन संभव

  • ब्याज दरों में हस्तक्षेप पर नजर

  • विदेशी मुद्रा भंडार का आंशिक इस्तेमाल एक विकल्प

लेकिन रिज़र्व बैंक के पास सीमित विकल्प हैं, क्योंकि दुनिया भर में डॉलर स्ट्रॉन्ग मोड में है।

डॉलर मस्त, रुपया पस्त – आगे क्या?

रुपये की यह गिरावट केवल एक संख्या नहीं, यह भारत की अर्थव्यवस्था की वैश्विक असुरक्षा को भी दर्शाती है। अमेरिकी टैरिफ़ ने जहां एक ओर विदेश व्यापार पर ब्रेक लगाया है, वहीं रुपये की साख भी झटका खा रही है।

आने वाले हफ्तों में यदि अमेरिका अपने रुख पर कायम रहा, तो हम 89 या 90 रुपये प्रति डॉलर की तैयारी भी कर सकते हैं।

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